Dictionaries | References आ आटा तोल, ठिकरी जलती है मराठी वाक्संप्रदाय - वाक्यप्रचार | Marathi | शेकोटी पेटविल्यानंतर स्वयंपाक करण्याकरितां पीठ विकत आणावयास गेलेला मनुष्य वाण्यास घाईनें पीठ तोलून देण्यास सांगत आहे. आशय हा की, विस्तव फुकट जात आहे तेव्हां लवकर पीठ तोलून दे. जोपर्यंत संधि आहे तो शक्य तितक्या लवकर काम साधून घ्यावे. तुलना-तापल्या तव्यावर भाकरी भाजून घेणें. Make hay while the sun shines. Related Words SUGGEST A NEW WORD! तोल ठिकरी बनिया-बनिया देते नहीं, पुरा तोल आटा दया धर्मका मूळ है आपना घर दूरसे सुझतां है आपना वकर आपने हात है पके बडके तले, मरणेवाले है बछडा-बछडा खुंटेके बळ नाचता है दिलपर दिल ऐना है नंगेमे खुदाभी डरता है है दोनो हातो पगडी संभालाने पडी है नफा दिसता है, मुद्दल घुसता है गडमें गड चितोडगड और सब गढैया है, तालमें ताल भोपालताल और सब तलैंया है बखतवारी उडगई है, बुलंदी रह गई है सारा दिवस पिसा पिसा, चपनी भर नहीं आटा एक बाईनें नहि दिया आटा, तो उपट गया झाट? टका-क्के शेर आटा, टका-क्के शेर खाजा एक मानें नै दिया आटा, तो क्या भुका मरेगा बेटा आवडीला मोल नाही आणि प्रीतीला तोल नाही काडीमात्र अकलेचे तोल, भाराभर विद्येचे मोल (सारखेच) जबान तले जबान है आज है सो कल नही मुफलस-मुफलससे सवाल हराम है मारमारके जाय, फताहदाद इलाही है जहांके मुरदे वहांही गाडते है उंट बडबडातेही लादते है नानक (कहे) नन्हे होईजे जैसी दूब, और घांस जर जात है दूब खूब की खूब आग पानीको हाडवैर है हजार आफत है, एक दिल लगानेसें दियाही आडे आता है एक एक मुस्किलके, हजार हजार आसान रखे है बम्मन-बम्मनकी गई बछडी, रावणकी गई लंक, दोनो दुःख समान है, ओ राजा ए रंक फतहा-फतहा दाद इलाही है मरदका कान और औरतका थान, जितना दबावे उतनाहि सीत कम लगता है सय्या-सैय्या भये कोतवाल अब किसकी डर है मूरख मूरख राज करत है, पंडित फिरत भिकारी जनाब, देहली तो बहोत दूर है वली-वल्लीको वल्लीही पछानता है दिल लगा गद्धीसे (मेंडकीसे), पदमीन क्या इयांट (चीज) है हाथीका वोझा, हाथीही उठाता है महंत-जांके संग दसवीस है तांको नाम महंतः तूं इमानसे गाव, हम सोता है आपने गल्लीमे कुत्ताभी शेर है आग पानीको वैर है मिया गिरगये लेकिन् पाव तो उच्चा है सो-सो कव्वोमे एक बगलाभी सरस है साहेबका घर दूर है, जैसी लंबी खजूर l चढे तो चाहे प्रेम रस, गिरे तो चकना चूर ll अरे बिबी भूक लगी, रोटियां पकाव ! ठिकरी तो फुट गई, बेटा टालिया बजाव गद्धेभी जवानीमें, भले मालूम देते है बियाह-बीयाह न कीया, बराततो देखी है सोना-सोतेको सोता, कब जागता है : Folder : Page : Word/Phrase : Person Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP