Dictionaries | References क कानमें तेल डाल बैठे है Source: मराठी वाक्संप्रदाय - वाक्यप्रचार | Marathi | ‘कानांत तेल घालून बसणें’ पहा. Related Words SUGGEST A NEW WORD! दिवाणाचें तेल पदरांत घेणें डोळ्यांत तेल घालून कानांत तेल घालणें टाळूवर तेल घालणें-ओतणें फेणीचें तेल तूप दिव्याला आणि तेल माव्याला डोळ्यांत तेल घालून पाहणें दया धर्मका मूळ है बैठे घडीचा कानांत तेल घालून निजणें आपना वकर आपने हात है तूप तृणाचें, तेल कणाचें खायला न प्यायला, फुलेल तेल न्हायला आपना घर दूरसे सुझतां है पके बडके तले, मरणेवाले है नंगेमे खुदाभी डरता है दिलपर दिल ऐना है मातीचें तेल बछडा-बछडा खुंटेके बळ नाचता है दोनो हातो पगडी संभालाने पडी है नफा दिसता है, मुद्दल घुसता है गडमें गड चितोडगड और सब गढैया है, तालमें ताल भोपालताल और सब तलैंया है आज है सो कल नही तेल जळे, पीडा टळे, पण ज्याचे जळे त्याला कळे मारमारके जाय, फताहदाद इलाही है जहांके मुरदे वहांही गाडते है उंट बडबडातेही लादते है नानक (कहे) नन्हे होईजे जैसी दूब, और घांस जर जात है दूब खूब की खूब आग पानीको हाडवैर है मुफलस-मुफलससे सवाल हराम है असेल तेव्हां तेल-तवा, नसेल तेव्हां कोरडे जेवा है तेल्याच्या बैलाचें घाण्यांतच तेल निघतें एक पैशाचे तेल, दोन पैशाचा हेल दियाही आडे आता है एक एक मुस्किलके, हजार हजार आसान रखे है कान कुरकुटी तेल मीठ मागे, न दे त्याच्या कानास लागे तेल दिव्याला आणि तूप माव्याला हजार आफत है, एक दिल लगानेसें जबान तले जबान है चुळचुळ (चुळबुळा) मुंगळा आणि पळीपळी तेल पालीचें तेल तिळभर चतुराईचें मोल, शेरभर हुन्नराचें तेल फुकट चोद, महाविनोद, रात्रभर दिवा, उरलें तेल शेंडीस लावा महंत-जांके संग दसवीस है तांको नाम महंतः सरकारचें तेल पदरांत-शेल्यांत घ्यावेम तेल्याचें तेल जळे, मशालजीची गांड जळे सो-सो कव्वोमे एक बगलाभी सरस है साहेबका घर दूर है, जैसी लंबी खजूर l चढे तो चाहे प्रेम रस, गिरे तो चकना चूर ll दमडीचें तेल. सारी रात्र दिवा, उरलें सुरलें माझ्या झुलपाला लावा अब - अबतो पत्थर के नीचे हात दबा है अल्ला दोमेसें एक देवे तो कबूल है अल्ला यार है बेडा पार है आग पानीको वैर है आग पानीको हाडवैर है आज है सो कल नही आटा तोल, ठिकरी जलती है आदमी का सैतान आदमी है आपने आपने ख्यालमे सबही मस्त है आपने गल्लीमे कुत्ताभी शेर है आपने बछड्येके दांत कोसोसे मालूम होते है आपना घर दूरसे सुझतां है आपना वकर आपने हात है उंट बडबडातेही लादते है उदकांतले तेल पोंवंता, बुदवंतु आशिलो उंचारि येता एक एक मुस्किलके, हजार हजार आसान रखे है एक मच्छली सारी झीलको गंदाती है कडू तेल काजीजी दुबले क्यौं? तो दुनियाकी फिकीर लगी है खुदाके घरसे फिर आये है गडमें गड चितोडगड और सब गढैया है, तालमें ताल भोपालताल और सब तलैंया है गद्धेभी जवानीमें, भले मालूम देते है गद्धीसे प्रीत जडी तो पद्मीन क्या है झ्याट जनाब, देहली तो बहोत दूर है जबान तले जबान है जहांके मुरदे वहांही गाडते है जहां सुई नही जाती, वहां मुसली चलाती है जात खुदाकी बेअयब है जो गरजता है, सो बरसता नही जो दब जाता है, संसार उसेहि दबाता है डाल डिझेल तेल तूं इमानसे गाव, हम सोता है तेल तिळभर चतुराईचें मोल, शेरभर हुन्नराचें तेल दुनया भुकी मरती है, घी दुनया है, और खुशामद है दया धर्मका मूळ है दियाही आडे आता है दिलपर दिल ऐना है दिल लगा गद्धीसे (मेंडकीसे), पदमीन क्या इयांट (चीज) है दिल्ली तो बहोत दूर है दोनो हातो पगडी संभालाने पडी है नंगेमे खुदाभी डरता है नफा दिसता है, मुद्दल घुसता है नानक (कहे) नन्हे होईजे जैसी दूब, और घांस जर जात है दूब खूब की खूब पके बडके तले, मरणेवाले है पत्रास _ प्रीतकी रीत न्यारी है प्रीत जडे मेंडकीसे पद्भिनी क्या माल-झ्यात है : Folder : Page : Word/Phrase : Person Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP