Dictionaries | References प प्रीतकी रीत न्यारी है मराठी वाक्संप्रदाय - वाक्यप्रचार | Marathi | प्रेमाची रीतच निराळी असतें. प्रेमी लोक जागविरहीत वर्तन करतात. Related Words SUGGEST A NEW WORD! रीत रीत बाटली म्हणून जात थोडीच वाटली दया धर्मका मूळ है रीत भात मोठी, ऐकतो लोकाच्या कानगोष्टी आपना घर दूरसे सुझतां है आपना वकर आपने हात है नफा दिसता है, मुद्दल घुसता है गडमें गड चितोडगड और सब गढैया है, तालमें ताल भोपालताल और सब तलैंया है बछडा-बछडा खुंटेके बळ नाचता है है पके बडके तले, मरणेवाले है दिलपर दिल ऐना है नंगेमे खुदाभी डरता है बखतवारी उडगई है, बुलंदी रह गई है दोनो हातो पगडी संभालाने पडी है आटा तोल, ठिकरी जलती है सबसे मथुरा न्यारी साधील त्याचा जयजयकार, फसेल त्याचा धिक्कार (ही जगाची रीत आहे) शौक-शौकदाद इलाही है मुदलसे बियाज प्यारा होता है मारमारके जाय, फताहदाद इलाही है जहांके मुरदे वहांही गाडते है उंट बडबडातेही लादते है नानक (कहे) नन्हे होईजे जैसी दूब, और घांस जर जात है दूब खूब की खूब आग पानीको हाडवैर है मुफलस-मुफलससे सवाल हराम है आज है सो कल नही साहेबका घर दूर है, जैसी लंबी खजूर l चढे तो चाहे प्रेम रस, गिरे तो चकना चूर ll जबान तले जबान है दियाही आडे आता है एक एक मुस्किलके, हजार हजार आसान रखे है हजार आफत है, एक दिल लगानेसें बम्मन-बम्मनकी गई बछडी, रावणकी गई लंक, दोनो दुःख समान है, ओ राजा ए रंक फतहा-फतहा दाद इलाही है मरदका कान और औरतका थान, जितना दबावे उतनाहि सीत कम लगता है सय्या-सैय्या भये कोतवाल अब किसकी डर है मूरख मूरख राज करत है, पंडित फिरत भिकारी जनाब, देहली तो बहोत दूर है सो-सो कव्वोमे एक बगलाभी सरस है महंत-जांके संग दसवीस है तांको नाम महंतः वली-वल्लीको वल्लीही पछानता है दिल लगा गद्धीसे (मेंडकीसे), पदमीन क्या इयांट (चीज) है हाथीका वोझा, हाथीही उठाता है तूं इमानसे गाव, हम सोता है आपने गल्लीमे कुत्ताभी शेर है आग पानीको वैर है मिया गिरगये लेकिन् पाव तो उच्चा है जहां सुई नही जाती, वहां मुसली चलाती है काजीजी दुबले क्यौं? तो दुनियाकी फिकीर लगी है जात खुदाकी बेअयब है सोना-सोतेको सोता, कब जागता है : Folder : Page : Word/Phrase : Person Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP