Dictionaries | References म मारमारके जाय, फताहदाद इलाही है मराठी वाक्संप्रदाय - वाक्यप्रचार | Marathi | [ ऊर्दु ] मोठया कडाक्यानें युद्ध केलें तरी विजय देणारा परमेश्वरच आहे. युद्ध तर कर यश परमेश्वराधीन आहे. मामनुस्मर युद्ध च। यशापयशाचा परमेश्वरावर भार टाकून युद्ध करणें. Related Words SUGGEST A NEW WORD! आलत धोय धोय जाय, आदत क्यौं कर जाय बोले तो मा मारी जाय, ना बोले तो बाप कुत्ता खाय मारमारके जाय, फताहदाद इलाही है दया धर्मका मूळ है बाराची माय खाटल्यावर जीव जाय आपना घर दूरसे सुझतां है आपना वकर आपने हात है बछडा-बछडा खुंटेके बळ नाचता है दोनो हातो पगडी संभालाने पडी है पके बडके तले, मरणेवाले है दिलपर दिल ऐना है नंगेमे खुदाभी डरता है है बखतवारी उडगई है, बुलंदी रह गई है वत-वत आशिल्ल्या सावली जाय आनि सावली आशिल्ल्या वत् जाय नफा दिसता है, मुद्दल घुसता है गडमें गड चितोडगड और सब गढैया है, तालमें ताल भोपालताल और सब तलैंया है शेता जाय पावसु, पुता जाय आवसु हजार आफत है, एक दिल लगानेसें जबान तले जबान है दियाही आडे आता है एक एक मुस्किलके, हजार हजार आसान रखे है आवैक नाका लेकरूं, आजे कित्या जाय नातरूं? जाय रे घोड्या, खाय रे हरळी महंत-जांके संग दसवीस है तांको नाम महंतः धा, जाय तें खा बापायक पुत नाका, आज्याक कित्याक नातु जाय आपल्या गॅल्या सावळेक् आपणॅ भिव्च्या जाय आदवांचें पातक संततिच भोगुंक जाय संगत-संगत संतन की कर ले तो गढत गढत गढ जाय सभागी-सभागी-सभाग्य साधून जाय निधि, अभागी मागें मृत्तिका शोधी जी कहीं लागत नही, जब दिल कही लग जाय साळ-साळ नासली म्हूण कुंडया पाष्ट जाय ना नरकरणी करे तो नरका नारायण हो जाय आज है सो कल नही इच्छीना संसारी तरण, न जाय गुरूशीं शरण सोश्या भोवडेक गेल्यार वाघा भोवडे साहित्य जाय जहांके मुरदे वहांही गाडते है उंट बडबडातेही लादते है नानक (कहे) नन्हे होईजे जैसी दूब, और घांस जर जात है दूब खूब की खूब आग पानीको हाडवैर है मुफलस-मुफलससे सवाल हराम है सो-सो कव्वोमे एक बगलाभी सरस है भट भिकारी, अवसे पुनवेस जाय लोकांचे दारीं नाल्ल खाल्ल्यानं देंठ फारीक करुंकच जाय बम्मन-बम्मनकी गई बछडी, रावणकी गई लंक, दोनो दुःख समान है, ओ राजा ए रंक पांच लेकांची माय आणि खाटेवर जाय सख्या सासूला लागला पाय, मामेसासू रागानें जाय साहेबका घर दूर है, जैसी लंबी खजूर l चढे तो चाहे प्रेम रस, गिरे तो चकना चूर ll हरहर म्हण्टले जायते जाण आसात, खणिक उडी मारतलो कोण आसा ! हरहर म्हणपी जायते असत पण खणींत उडी एकल्यानच मारुक जाय अब - अबतो पत्थर के नीचे हात दबा है अल्ला दोमेसें एक देवे तो कबूल है अल्ला यार है बेडा पार है आग पानीको वैर है आग पानीको हाडवैर है आज है सो कल नही आटा तोल, ठिकरी जलती है आदमी का सैतान आदमी है आपने आपने ख्यालमे सबही मस्त है आपने गल्लीमे कुत्ताभी शेर है आपने बछड्येके दांत कोसोसे मालूम होते है आपना घर दूरसे सुझतां है आपना वकर आपने हात है उंट बडबडातेही लादते है एक एक मुस्किलके, हजार हजार आसान रखे है एक मच्छली सारी झीलको गंदाती है काजीजी दुबले क्यौं? तो दुनियाकी फिकीर लगी है कानमें तेल डाल बैठे है खुदाके घरसे फिर आये है गडमें गड चितोडगड और सब गढैया है, तालमें ताल भोपालताल और सब तलैंया है गद्धेभी जवानीमें, भले मालूम देते है गद्धीसे प्रीत जडी तो पद्मीन क्या है झ्याट जनाब, देहली तो बहोत दूर है जबान तले जबान है जहांके मुरदे वहांही गाडते है जहां सुई नही जाती, वहां मुसली चलाती है जात खुदाकी बेअयब है जो गरजता है, सो बरसता नही जो दब जाता है, संसार उसेहि दबाता है तूं इमानसे गाव, हम सोता है दुनया भुकी मरती है, घी दुनया है, और खुशामद है दया धर्मका मूळ है दियाही आडे आता है दिलपर दिल ऐना है दिल लगा गद्धीसे (मेंडकीसे), पदमीन क्या इयांट (चीज) है दिल्ली तो बहोत दूर है दोनो हातो पगडी संभालाने पडी है नंगेमे खुदाभी डरता है नफा दिसता है, मुद्दल घुसता है नानक (कहे) नन्हे होईजे जैसी दूब, और घांस जर जात है दूब खूब की खूब पके बडके तले, मरणेवाले है प्रीतकी रीत न्यारी है प्रीत जडे मेंडकीसे पद्भिनी क्या माल-झ्यात है फतहा-फतहा दाद इलाही है बखतवारी उडगई है, बुलंदी रह गई है बछडा-बछडा खुंटेके बळ नाचता है बनिया तो कुछ देते बी नहिं, लेकिन आप कहते है पुरा तोल बनिया भी आपना गूड छुपाकर खाता है बम्मन-बम्मनकी गई बछडी, रावणकी गई लंक, दोनो दुःख समान है, ओ राजा ए रंक : Folder : Page : Word/Phrase : Person Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP